कर लेने दो गुस्ताखियां
🚣कर लेने दो
#गुस्ताखियां🤼
माना आज हम फंसे पड़े है
बच्चें घर में लड़ें पड़े है
जोर जोर से चिललातें है
घर को मछ्ली बाज़ार बनाते हैं
बर्तन भी बिखरें पड़े हैं
कॉपी किताबो
के ढेर लगे है
जूतों की दुकान सजी है
कपड़े हैंगर में कम
अलमारी में ठुंसे पड़े हैं
कभी शीशा तोड़ा
तो कभी भाई का हाथ मोड़ा
कभी बहन की चॉकलेट उड़ा दी
कभी स्कूल बस भी छुटा दी
इनकी शैतानियां
ये बदमाशियां
ही याद आएगीं
ये चले गए जो घर से
धूल भी रास्ता बदल जाएंगी
निपट अकेले हम
घर को निहारेगे
साफ़ सुथरा तो होगा
पर फिर किसे हम पुकारेगें
दिन काटे नहीं कटेगा
रातों को नीद ना आएंगी
सुबह किसके लिए उठना
रोज खिचड़ी ही पकाई जाएंगी
जी लो तुम भी इनके संग
ये पल ना लौट कर आयेंगे
कर लो तुम भी कुछ गुस्ताखियां
ये पल बाद में बड़े याद आयेंगे
स्वरचित ✍️
नीलम गुप्ता🤼
Author Pawan saxena
18-Jan-2021 12:34 PM
Aap bohut achcha likhte hai mam ..👍
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kapil sharma
18-Jan-2021 12:24 PM
👏👏👏
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Natash
18-Jan-2021 12:18 PM
👍👍👍
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